Samosaran in Hindi – समवसरण क्या है हिन्दी में 

Samosaran in Hindi – समवसरण क्या है हिन्दी में 

समवसरण एक जैन धार्मिक संस्कार है, जो महावीर स्वामी और अन्य तीर्थंकरों के उपदेशों के साथ जुड़ा हुआ है। यह शब्द “समवसरण” का अर्थ है ‘सबके लिए समान’ या ‘सभी के लिए खुला’। इसे एक पवित्र सभा या धार्मिक असेंबली माना जाता है जहां तीर्थंकर उपदेश देते हैं। इस सभा में सभी जीव-जंतु, मनुष्य और देवता बिना किसी भेदभाव के एक साथ बैठते हैं और धर्म का उपदेश सुनते हैं।

समवसरण का आयोजन बहुत ही भव्य और शांतिपूर्ण माहौल में किया जाता है। इसमें तीर्थंकर केंद्र में आसन पर विराजमान होते हैं और चारों दिशाओं में उनके श्रावक (श्रद्धालु) बैठते हैं। यह व्यवस्था इस प्रकार की जाती है कि सभी लोग तीर्थंकर को आसानी से देख और सुन सकें।

समवसरण का महत्व जैन धर्म में बहुत अधिक है क्योंकि यह उपदेशों को सुनने का एक प्रमुख साधन माना जाता है। इसे ज्ञान की वृद्धि, आत्म-सुधार और मोक्ष प्राप्ति की दिशा में एक कदम माना जाता है। समवसरण की कल्पना एक ऐसे स्थान के रूप में की गई है जहां सभी प्राणियों को समानता, प्रेम और भाईचारे का अनुभव होता है।

इस पवित्र सभा का वर्णन जैन ग्रंथों में भी मिलता है, जहां इसकी भव्यता और सौंदर्य का वर्णन किया गया है। समवसरण को जैन धर्म में एक आदर्श समाज का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है, जहां ज्ञान की गंगा बहती है और सभी जीव इसमें डुबकी लगा सकते हैं।

आज के समय में, समवसरण का महत्व बरकरार है और इसे धार्मिक आयोजनों, विशेष त्योहारों और धार्मिक उपदेशों के समय में देखा जा सकता है। इसे जैन समुदाय में शांति, समरसता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।

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